Success Story: कहते हैं इंसान जब दिल से कुछ करने की ठान लेता है तो मुश्किले उसका रास्ता नहीं रोक सकती। जब इंसान सफल होने की जिद कर लेता है तब कोई भी मुश्किल उसको रोक नहीं पाती है। ऐसे ही कहानी है हरिओम की जो जब शहर से नौकरी छोड़कर गांव आए तो लोग उन्हें निकम्मा कहते थे। यहां तक की लोग यह भी कहने लगे कि अगर कोई पढ़ाई छोड़ेगा तो हरिओम की तरह निकम्मा बन जाएगा लेकिन उन्होंने कभी किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया।
उन्होंने अपने गांव में गौशाला बनाया और गाय बछड़ों को रखना शुरू किया क्योंकि इनके साथ उन्हें सुकून मिलता था। इसके बाद उन्होंने डेयरी फार्मिंग का विचार किया लेकिन गांव वालों ने उनका मजाक उड़ाया। हरिओम ने कभी भी किसी की बात नहीं मानी और मुश्किलों से लड़ते रहे।
10 गायों के साथ की थी शुरुआत (Success Story)
हरिओम ने 10 गायों के साथ बिजनेस की शुरुआत की थी और शुरुआत में उन्हें काफी मुश्किल आई थी। कई बार तूने फ्री में दूध बेचना पड़ता था और कई बार उन्हें पूरे दिन में नौ रूपए ही कमाई होती थी। लोगों से दूध लेते थे और उनका मजाक भी उड़ाते थे। लेकिन वह कभी भी अपने काम से पीछे नहीं हटे और धीरे-धीरे स्थानीय महिलाओं और लोगों का उन्हें समर्थन मिलने लगा और 2016 में उन्हें दुग्ध संग्रह केंद्र स्थापित किया जिसमें सरकार ने उनकी सहायता की।
लोगों का जीता भरोसा (Success Story)
हरिओम जो भी दूध भेजते थे उसकी गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देते थे और जैविक चार का भी इस्तेमाल करते थे। उन्होंने ग्राहकों को फ्री में इलेक्ट्रोमीटर दिया और धीरे-धीरे लोगों का उन्होंने विश्वास जीत लिया। उनके डेरी का नाम धन्य धुन है और ऋषिकेश रहने वाले कई ग्राहक पिछले 9 सालों से हरिओम का ही दूध खरीदने हैं।
2 करोड़ सालाना का कारोबार
दूध बचने के अलावा हरिओम मावा, आइसक्रीम, रबड़ी, फालूदा और अचार भी बनाते हैं। वह अपने उत्पाद स्थानीय बाजार के साथ व्यापार मेलों में भी बेचते हैं। उनका व्यवसाय अब 2 करोड़ रुपये सालाना का हो गया है। हरिओम की सफलता ने उनके समुदाय को बदल दिया है। वह 15 गांवों के 500 लोगों को रोजगार देते हैं। उनकी कहानी गांव वालों के लिए प्रेरणा बन गई है।