HI 1655 : गेंहू की एकदम नई किस्म, बढ़ेगा उत्पादन, बस इतने दिन में हो जाती है तैयार

Jyoti Mishra
3 Min Read
HI 1655

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HI 1655 : आज के समय में सरकार देश में गेहूं उत्पादन पर ज्यादा ध्यान दे रही है।देश में दिन प्रतिदिन गेहूं की मांग बढ़ती जा रही है और बढ़ती गर्मी के वजह से गेहूं के फसल पर भी इसका नकारात्मक असर हो रहा है और गेहूं का उत्पादन कम हो गया है। देश में गेहूं के पैदावार में कमी आ रही है यही वजह है कि सरकार नए-नए शोध करके गेहूं के नए किस्म पर जोर दे रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (ICAR), नई दिल्ली में फसलों की 109 नई किस्में जारी की थीं. इसमें गेहूं की नई किस्म एचआई 1665 भी शामिल थी। प्रधानमंत्री मोदी ने गेहूं की एक और किम  HI 8840 को लॉन्च किया था और गेहूं के इन दोनों किस्म को ICAR इंदौर में तैयार किया गया था।

शानदार है गेहूं की यह दोनों किस्म (HI 1655 )

 

लांच होने के बाद इन दोनों किस्म की मांग में तेजी देखने को मिली है और सबसे ज्यादा मांग HI 1655 की हो रही है।जब तक यह दोनों किस्म की गेहूं मार्केट में नहीं आए थे तब एच आई 1650 की मांग बाजार में बढ़ गई थी लेकिन अब इन दोनों की मांग में तेजी आई है।इन दोनों किस्म की गेहूं में कई तरह की खासियत देखने को मिल रही है।

ICAR इंदौर ने तैयार की किस्म

गेहूं की किस्म HI 1655 को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र, इंदौर के द्वारा विकसित किया गया है। इस खास किस्म की गेहूं को बनाने के लिए शरबती गेहूं की लोकप्रिय किस में एच आई 1531 और एच आई 1544 को क्रॉस करके तैयार किया गया है। गेहूं की इस किस्म को मध्य प्रदेश पूर्वी राजस्थान उत्तर प्रदेश बिहार और गुजरात के किसानों के लिए अनुशंसित किया गया है। इस किस्म की अच्छी तरह से उत्पादन के लिए सही समय पर बुवाई करना जरूरी है और यह गेहूं की एक शरबती किस्म है।

प्रति क्विंटल अधिक होगी उपज

रिपोर्ट के अनुसार, कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि एचआई गेहूं की किस्म की खेती करके किसान प्रति हेक्टेयर औसतन 35 से 40 क्विंटल तक की पैदावार हासिल कर सकते हैं. वहीं अगर इस किस्म की खेती के अनुरूप मिट्टी और वातावरण मिल जाता है तो फिर उत्पादन में और भी बढ़ोतरी हो जाती है।

फिर किसान प्रति हेक्टेयर 45-50 क्विंटल तक की पैदावार हासिल कर सकते हैं. गेहूं की यह किस्म मध्यम अवधि वाली होती है. बुवाई के 110-115 दिनों में यह कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसके पौधे की औसतन ऊंचाई 85-90 सेंटीमीटर तक होती है. इसके 1000 दाने का वजन 44 ग्राम तक होता है. इस किस्म में सिर्फ दो सिंचाई करके ही किसान अच्छी उपज हासिल कर सकते हैं।

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