Why Celebrate Raksha Bandhan: सावन के महीने में रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है और रक्षाबंधन का त्योहार बहुत ही पवित्र त्यौहार है। रक्षाबंधन से जुड़े कई आध्यात्मिक कहानियां भी सुनने को मिलती है और यह त्यौहार वर्षों से मनाया जा रहा है। कलयुग में तो आप रक्षाबंधन का त्यौहार मना ही रहे हैं लेकिन सर झुक से ही इस त्यौहार की प्रथा चली जा रही है। इस आर्टिकल में हम आपको रक्षाबंधन से जुड़ी पौराणिक कथाएं बताएंगे।
राजा बली बेहद दानवीर था। लिहाजा उसकी परीक्षा लेने के लिए यज्ञ की समाप्ति पर स्वयं नारायण एक बौने ब्राह्मण का वेश धरकर बली के पास पहुंच गए और बली से तीन पग की जमीन दान देने की प्रार्थना की।
नारायण ने राजा बलि से मांगी तीन पग जमीन (Why Celebrate Raksha Bandhan)
राजा बलि में दानवीरता को लेकर अहंकार आ गया तब नारायण ने एक पग में समूचा आकाश और दूसरे पग में समुचित धरती को नाप दिया। इसके बाद राजा बलि को इस बात का एहसास हो गया कि नारायण उसकी परीक्षा लेने आए हैं। इसलिए तीसरे कम में उसने अपना सर समर्पित कर दिया और भगवान विष्णु राजा बलि के इस दानवीरता से प्रसन्न हुए और उसे पाताल लोक दे दिया और साथ ही वरदान मांगने को कहा।
तब राजा बली ने भगवान विष्णु से कहा कि पाताल लोक में आप स्वयं द्वारपाल बनकर हमारे साथ रहें. भक्त वत्सल भगवान अपने वचन से कहां डिगने वाले थे. लिहाजा वो बली के साथ पाताल में द्वारपाल बनकर रहने लगे। भगवान विष्णु जब काफी लंबे समय तक विष्णु लोक नहीं लौटे तो माता लक्ष्मी को उनकी चिंता होने लगी और वह खुद उनके पास पाताल लोक चली गई।
मां लक्ष्मी ने राजा बलि को बांधा रक्षा सूत्र (Why Celebrate Raksha Bandhan)
सारी कथा समझने के बाद मां लक्ष्मी एक गरीब ब्राह्मणी का रूप धरकर राजा बली के पास गईं और उनके हाथ में एक रक्षा सूत्र बांध दिया. प्रसन्न होकर राजा बली ने ब्राह्मणी बनी मां लक्ष्मी से बदले में कुछ उपहार मांगने को कहा तो मां लक्ष्मी ने उनसे भगवान नारायण को बैकुंठ वापस भेजने का आग्रह किया. दानवीर बली बचनबद्ध थे, इसलिए मां लक्ष्मी की ये शर्त मानकर उन्होंने भगवान विष्णु को वरदान के बंधन से मुक्त कर दिया।