Betul News: मध्य प्रदेश के बैतूल के बरबतपुर रेलवे स्टेशन के पास अचानक से रेलवे ट्रैक धस गया, इसके वजह से कई गाड़ियों को बीच में ही रोक कर रेलवे ट्रैक के सुधार का कार्य करना पड़ा. आपको बता दे कि यह वही जगह है जहां 2013 में पूरा ट्रैक मचाना नदी में बह गया था. इस घटना के बाद हर काम पहुंच गया है और नागपुर से पहुंचे वरिष्ठ अधिकारियों और इंजीनियर ने मौका का मुआवना किया. अधिकारी यहां पर कैंप किए हैं.
रेलवे के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार बैतूल से इटारसी के तरफ जाने वाली रेल ट्रैक के खंबा नंबर 802/29 के पास अप ट्रैक के धसने की घटना हुई है. अधिकारियों ने जब घटना की जांच की तो पता चला कि 2013 में यहां हादसे के बाद बनाई गई नदियों का पानी ट्रैक के बीच से होकर गुजर रहा था और यह पानी ट्रैक के अंदर कहां जा रहा था यह किसी को पता नहीं था. रात में भारी बारिश हुई थी जिसके बाद बड़ी मात्रा में पानी ट्रैक अप और ट्रेक डाउन के बीच बह रहा था जिसके वजह से ट्रैक के पास की गिट्टी पत्थर बह गए थे.
ट्रैक ठीक करने का युद्ध स्तर पर चल रहा है काम (Betul News)
इस घटना की जानकारी मिलने के बाद रेलवे ने यहां युद्ध स्तर पर काम शुरू करवा दिया है और तीन जैसी भी मशीन है ट्रैक पर उतारा गई है. तीन JCB भी मशीन है ट्रैक पर उतर गई है और इस दौरान मालवा लाकर यहां डलवाया गया है. आपको बता दे कि इस दौरान यहां से कोई भी ट्रेन नहीं गुजरी और इसे ठीक करने के लिए यहां पर बड़ी संख्या में मजदूर काम कर रहे थे. अभी भी ट्रैक ठीक करने का काम जारी है.
घटना की जानकारी मिलने के बाद रेलवे ने यहां युद्धस्तर पर काम शुरू करवाया।तीन जेसीबी मशीनें ट्रेक पर उतारी गई।इस दौरान मलबा लाकर यहां डलवाया गया। इस दौरान तीन बार रेल प्रबंधन को यहां ब्लाक भी लेना पड़ा। इस दौरान कोई ट्रेन यहां से गुजारी नही गई। सैकड़ो मजदूर,और रेलवे कर्मचारी यहां दिन भर काम करते रहे।अभी भी कार्य जारी है. आपको बता दे की ट्रैक धसने की वजह से कई ट्रेन लेट है.
10 साल पहले हुआ था हादसा (Betul News)
10 साल पहले साल 2013 में यहां भारी बारिश के बाद रेलवे ट्रेक के नीचे की पूरी मिट्टी बह गई थी।ट्रेक हवा में झूल गया था। तब तत्कालीन डीआरएम ब्रजेश दीक्षित खुद मौके पर पहुंचे थे।यहां सुधार कार्य पर करोड़ों रु खर्च किए गए थे। हादसे के समय माचना नदी ने अपना रास्ता बदल लिया था।जिससे नदी का पानी पुल के ऊपर से ट्रेक से गुजरा था। इसके बाद रेल प्रबंधन ने यहां बड़ी बड़ी नालियां बनवाकर पानी का रुख नदी की तरफ मोड़ने का प्रयास किया था।